Top Shodashi Secrets
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं
The Mahavidya Shodashi Mantra supports psychological stability, advertising and marketing healing from past traumas and interior peace. By chanting this mantra, devotees come across launch from adverse emotions, creating a balanced and resilient mentality that can help them facial area lifestyle’s troubles gracefully.
The Mahavidya Shodashi Mantra aids in meditation, improving internal quiet and emphasis. Chanting this mantra fosters a deep feeling of tranquility, enabling devotees to enter a meditative condition and hook up with their internal selves. This gain enhances spiritual recognition and mindfulness.
The Sri Chakra is a diagram fashioned from nine triangles that encompass and emit out from the central point.
पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥
सर्वज्ञादिभिरिनदु-कान्ति-धवला कालाभिरारक्षिते
In case the Shodashi Mantra is chanted with a transparent conscience along with a decided intention, it will make any would like come correct in your case.
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥
हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः
Attaining the eye of Shodashi, ones thoughts towards Other individuals turn out to be much more favourable, a lot less important. Types interactions morph right more info into a matter of good magnificence; a point of sweetness. This can be the that means in the sugarcane bow which she carries always.
संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।
वन्दे वाग्देवतां ध्यात्वा देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१॥
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।